Sunday, April 11, 2010

नेता भी कैसे बन्दे हैं ?



                       अतुल मिश्र 

नेता भी कैसे बन्दे हैं ?
आँखें हैं, फिर भी अन्धे हैं,

मछर इन पर नहीं भिनकते,
ये इतने ज़्यादा गन्दे हैं !

बाहर से तो कलफ लगे हैं,
अन्दर से कच्चे अन्डे हैं !

इनकी दिनचर्या मत पूछें,
इनके मंडे भी सन्डे हैं !

वादे पूर्ण करें वादों से,
ये इनके अपने फंडे हैं !

कुदरत इसमें क्या कर लेगी ?
गोरे हैं, काले धन्धे हैं !

छापा अगर पड़े तो बोलें,
वो चुनाव था, ये चन्दे हैं !

ईमां की  जो निकली अर्थी,
ये उसके चौथे कन्धे हैं !

भाषण, वादे, तो जनता को,
सिर्फ़ फंसाने के फन्दे हैं !

सब पर अपना-अपना कुछ है,
उन पर सिर, हम पर डंडे हैं !

3 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

vijay kumar sappatti said...

waah atul ji kya khoob likha hai , netao par ek jabardasht rachna ...

vijay

Jolly Uncle said...

Wonderful description of todays politicians.
Jolly Uncle
www.jollyunce.blogspot.com