Monday, April 12, 2010

एक वार्ता मनमोहन-ओबामा की


                            अतुल मिश्र 

    ओबामा खुश थे कि दुनिया भर के मुल्कों के प्रमुख नेता शिखर-वार्ताएं करने अमरीका आये हुए हैं और शिखर-वार्ता के बाद वे अपनी और अपने पड़ोसी मुल्क के बारे में ऐसी-वैसी वार्ताएं भी कर रहे हैं. ख़ासतौर से भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों की अलग-अलग क्लासें लेना उन्हें एक अजीब सा सुकून दे रहा था. इस सिलसिले में सबसे पहले मनमोहन सिंह से उनकी वार्ता हुई.
    " हम यह चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार आये. " ओबामा ने अपनी बात की शुरुआत ऐसे की, जैसे भारत के प्रधानमंत्री ही  संबंधों में सुधार ना आने के लिए ज़िम्मेदार हों.
    " जी, आपकी बात भी कहने के लिहाज़ से सही है, मगर जब तक मुंबई-हमलों के दोषियों को सज़ा नहीं मिलती, हम कोई सुधार नहीं ला पायेंगे. " मनमोहन जी की महीन आवाज़ में तटस्थता दिखाई दे रही थी.
    " आपकी बात भी सही है, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी से हम इस बारे में पूछेंगे कि अभी तक उन दोषियों के ख़िलाफ वैसी कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, जैसी कि आप चाहते हैं कि हो ? " सरपंच वाली आवाज़ में ओबामा ने मीडिया के नामौज़ूद कैमरों की ओ़र देखते हुए कहा.
    " इसके अलावा पाकिस्तान अपने आतंकवादियों को हमारे मुल्क में भेजना बंद करे. इससे हमें परेशानी होती है. " रिश्तों में सुधार के लिए दूसरी शर्त मनमोहन सिंह ने ऐसी रख दी, जिससे ओबामा को हंसी आ गयी और वे अपनी कुर्सी पर आसन बदलकर बैठ गए.
    " बिलकुल, यह तो ग़लत बात है. इस बारे में भी हम गिलानी से पूछेंगे कि हमसे पूछे बिना ऐसा क्यों हो रहा है ? " ओबामा ने अपने और मनमोहन सिंह की कुर्सी के बीच फासले को देखते हुए उनकी पीठ पर सारी तसल्ली लादे बिना तसल्ली दी.
    " जब तक यह सब नहीं हो जाता, तब तक हम वह सब नहीं कर पायेंगे, जो आप पता नहीं क्यों चाहते हैं कि हो ? " मनमोहन सिंह ने अपने जवाब में से निकलता एक ऐसा सवाल छोड़ा, जो भारत-पाक रिश्तों में सुधार की इस पहल को संदेहास्पद बना रहा था.
    " दरअसल, हम चाहते हैं कि दोनों मुल्कों के रिश्तों में सुधार हो जाये तो आसपास भी शान्ति क़ायम रहेगी. " शान्ति-दूत के चेहरे वाला पोज़ बनाते हुए ओबामा ने अपनी बात सारी दुनिया के सामने रखने की कोशिश की.
    " शान्ति हम भी चाहते हैं, मगर सिर्फ़ हमारे चाहने से क्या होता है ? जब तक पड़ोसी हमारी शान्ति छीनकर अपने मुल्क में उसे स्थापित करने की अपनी गन्दी नीयत नहीं छोड़ देता, हम शांत नहीं बैठ सकते. " सानिया-शोएब की शादी का ज़िक्र किये बिना अपने मुल्क की ' शान्ति'  के पड़ोस में चले जाने से आहत मनमोहन सिंह ने कहा.
    " मैं आपकी पीड़ा को समझ सकता हूं, मगर ऐसी ' शान्ति ' का आप क्या करते, जो आपके मुल्क में अशांति पैदा कर रही हो ? " पता नहीं यह कौन सा नया अलंकार था, जिसके तहत ऐसी सिर-घुमाऊ बात ओबामा के मुंह से निकल गयी और जो सानिया, उसकी शॉर्ट स्कर्ट और पाकिस्तान में उसकी शादी से ताल्लुक रखती थी.
    " आप गिलानी से बात कीजिये कि वे हमारी शान्ति भंग ना करें. हमारे मुल्क में भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जो ऐसा करने के हौंसले रखते हैं, मगर हमने कभी ऐसा करने की कोशिश नहीं होने दी. " मनमोहन सिंह ने सानिया के टेनिस खेलने के अंदाज़ और तेज़ हवा के चलने की कल्पना करते हुए ओबामा को अपनी नितांत गोपनीय और व्यक्तिगत पीड़ा से अवगत कराया.
    " आप बिलकुल चिंता ना करें, मिस्टर सिंह. हम इन तमाम बातों पर विस्तार से गिलानी से वार्ता करेंगे. आप अब आराम कीजिये, थक गए होंगे आप. " ओबामा ने मनमोहन जी की आत्मिक पीड़ा को भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखते हुए कहा.
    इसके बाद वहां मौजूद हमारे विशेष सूत्र ने अपना नाम ना ज़ाहिर करने की शर्त पर हमें बताया कि ओबामा ने अपने पास रखी मेज़ में छिपी घंटी  बजाई और बिना " नेक्स्ट " की आवाज़ सुने पकिस्तान के प्रधानमंत्री गिलानी उनके सामने हाज़िर हो गए. 
    

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