Thursday, March 4, 2010

काम इतना था कि कामी हो गए



                    अतुल मिश्र 

जो हरम्मे थे,वे स्वामी हो गए, 
यूं बहुत नामी-गिरामी हो गए, 

खोलकर बैठे हैं, जब से आश्रम 
काम इतना था कि कामी हो गए !

अंध श्रद्धा, धर्म, भक्ति, आस्था 
इससे वे नामी-गिरामी हो गए !

कोठियाँ जिनको सलामी दे चुकीं
आज कोठों की सलामी हो गए !

मीडिया ने नाम से कवरेज़ दी 
इस तरह कुछ लोग नामी हो गए !

उर्ध्वगामी भक्त सारे बन गए 
खुद मगर वे निम्नगामी हो गए !

2 comments:

Sankar shah said...

Bahut badhiya likha hai apne Atul ji....

Sankar shah said...

Bahut badhiya likha Apne Atul ji....