अतुल मिश्र
यूं बहुत नामी-गिरामी हो गए,
खोलकर बैठे हैं, जब से आश्रम
काम इतना था कि कामी हो गए !
अंध श्रद्धा, धर्म, भक्ति, आस्था
इससे वे नामी-गिरामी हो गए !
कोठियाँ जिनको सलामी दे चुकीं
आज कोठों की सलामी हो गए !
मीडिया ने नाम से कवरेज़ दी
इस तरह कुछ लोग नामी हो गए !
उर्ध्वगामी भक्त सारे बन गए
खुद मगर वे निम्नगामी हो गए !
2 comments:
Bahut badhiya likha hai apne Atul ji....
Bahut badhiya likha Apne Atul ji....
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