गर्दभ आरती
Monday, March 01, 2010 व्यंग्य
अतुल मिश्र
ओम जय गर्दभ भ्राता, ढेंचू, जय गर्दभ भ्राता !
जो तुमको पुजवाता, यही जनम पाता !!
ओम जय गर्दभ भ्राता !!!
नेता या कउओं से, हैं जितने प्राणी,
मूरख, हैं जितने प्राणी,
इन सबकी तुम सबसे, मिलती है वाणी !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
तुम पी. एम. या सी. एम., सबमें वास करो,
घोंचू, सबमें वास करो,
ज़्यादा खाकर, ज़्यादा गैसें पास करो !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
भारत के सब वासी, हैं इतने खेंचू,
लल्ला, हैं इतने खेंचू,
कहते तुमसे बैटर, करते हैं ढेंचू !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
भंग पिए तुम जब भी, हँसते, मुस्काते,
भौंदू, हँसते, मुस्काते,
नेता, पागल, सिर्री, झेंप-झेंप जाते !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
आज तुम्हारी आरती, जो कोई नर गावै,
मूरख, जो कोई नर गावै,
पत्रकार वो बनके, नैक्स्ट जनम पावै !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
नेता तेरे पालक, तू उनका बालक,
बौड़म, तू उनका बालक,
आज मंच पर आना, बनकर संचालक !
ओम जय गर्दभ भ्राता !!
......और अब अंत में सब जयकारा लगाएं कि
बोलो, गर्दभ महाराज की जय !! बोलो, उनकी सुरीली आवाज़ की जय !!
बोलो, मूर्खाधिपतियों के ताज की जय !! बोलो, कोतवाल सहित यमराज की जय !!
बोलो, नेता, कउओं और बाज की जय !! बोलो, भगंदर, बवासीर और खाज की जय !!
बोलो, लौकी, मूली और प्याज की जय !! बोलो, क़र्ज़ से अधिक ब्याज की जय !!
बोलो, नकली दूध के छाछ की जय !! बोलो, कल-परसों की मिलाकर आज की जय !!
2 comments:
Very Good. keep it up.
From
Dinesh Sharma
Editor
wwww.swatantraawaz.com
देश की आशा केवल वही हो सकता/सकती है जिसके परिवार में पहले भी कोई ढेंचू-ढेंचू कर चुका हो! पहले यह बताइए, इन गर्दभ जी महाराज के परिवार में क्या किसी ने राज किया है? किसी ने पैसा बनाया है? कितने भारतीयों को मूर्ख बनाया है? यदि यह जानकारी हमें पर्याप्त लगी तो हम उनकी जय-जयकार भी करेंगे, कई पुश्तों तक उन्हें वोट भी देंगे, और आरती भी उतारेंगे. हम भारतीय हैं. हमें आप जानते ही होंगे!
- विक्रम शर्मा
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