Saturday, February 27, 2010

दैनिक व्यंग्य-लेख-स्तम्भ !!



होली की टी. वी. कवरेज़
                  अतुल मिश्र 

    होली के अगले दिन भी अगर टी. वी. न्यूज़ चैनल्स होली मनाने वालों से सवालात ना करें तो लगता नहीं कि होली मन ली गयी है. इस बारे में वे लोगों से कुछ इस तरह की बातें पूछते हैं कि जवाब देने के बाद कैमरे के सामने से हटकर जवाबदाता यह सोचता है कि अब इन बातों के पूछने से क्या फायदा ? मसलन, पहला सवाल-
    "आप होली खेलते हैं ?"
    "जी हां, होली वाले दिन ज़रूर खेलते हैं I"
    "इस बार भी खेली होगी ?"
    "जी, बिलकुल I"
    "अच्छा, तो इस बार भी होली खेली ?"
    "जी, बिलकुल I"
    "वैरी गुड, अब आप हमारे दर्शकों को यह बताईये कि कैसा लगा ?"
    "अच्छा लगा, बहुत अच्छा लगा I"
    "अच्छा, तो आपको वाक़ई अच्छा लगा ?" 
    "जी, अच्छा क्यों नहीं लगेगा, बहुत अच्छा लगा I"
    "कैसा और क्या अच्छा लगा ? मतलब, रंग खेलना या दारू पीना ?"
    "दारू पीकर रंग खेलना I"
    "बहुत सुन्दर I यहां हम अपने दर्शकों यह बता देना चाहते हैं कि कुछ लोगों को दारू पीकर होली खेलना अच्छा लगता है तो कुछ लोग यहां ऐसे भी हैं, जो किन्हीं वजहों से दारू नहीं पीते हैं, मगर दारू पीने वालों को देखते ज़रूर हैं I आइये, ऐसे ही एक और सज्जन से आपको मिलवाते हैं, जो बिना दारू पिए भी कई बार होली खेल चुके हैं I क्या नाम है आपका ?"
    "रामभरोसे, पूरा श्री राम भरोसे लाल I"
    "अच्छा, तो राम भरोसे लाल जी, सुना है कि आप बिना दारू पिए भी होली मना लेते हैं I इसमें कितना सच है, हमारे दर्शक जानना चाहेंगे ?"
    "अजी, दारू पिए बिना ही क्या खेल लेते हैं ? मज़बूरी है I छह-छह महीने तनख्वाहें नहीं मिलतीं I ऊपरी कमाई है नहीं मास्टरी में I क्या खाएं, क्या पियें और पिलायें ?" रामभरोसे ने अपनी असली तकलीफ़ देश भर के सामने रखते हुए कहा I
    "आप हमारे दर्शकों से कुछ कहना चाहेंगे ?"
    "क्यों नहीं, हम तो बहुत देर से सोच रहे थे I"
    "क्या सोच रहे थे आप, इधर कैमरे की तरफ देखकर बताईये  I"
    "यही कि जिस नौकरी में रहकर होली वाले दिन भी आदमी को दारू मयस्सर न हो, वह नौकरी नहीं करनी चाहिए I"
    "..........'होली-स्पेशल' का हमारा यह कार्यक्रम छोड़कर अभी कहीं मत जाइएगा I छोटे से एक ब्रेक के बाद हम फिर वापस लौटेंगे और बताते रहेंगे कि इस साल लोगों ने होली कैसे मनाई ?" डकार-न्यूज़ चैनल पर इसके बाद पेट-दर्द की दवा का विज्ञापन आना शुरू हो गया I

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