Saturday, December 19, 2009




भाजपा !
देखो, कहीं, किसी कोने में, अखबारों में नाम छपा ??

कांग्रेस !
एक्सप्रेस है, लोगे रेस ??

विपक्ष ने मांगी सफाई !
कहा पक्ष ने,"आप कहीं भी, इसको कर सकते हैं, भाई !!"

दो स्तरीय वार्ता !
जनता को क्या बतलायेंगे, कि उसमें क्या सार था ??

वायुयान !
बिना किसी टक्कर के अब तो, भरता ही वो नहीं उड़ान !!

अभियान !
महंगाई में नहीं ज़रुरत, अन्दर सब पहनें बनियान !!

टकराव !
इसके बाद इसी मुद्दे पर, पैदा करवाएं सदभाव !!

झटके !
है तबादला-प्रेमी सी. एम., जाने कहां उठाकर पटके ??

आरक्षण !
है चुनाव से पहले, सबको देने का प्रण !!

धरना !
धरना देने के विरोध में, काम वही अबकी से करना !!

आशंका !
लंका का बीमा करवाकर, रावण ना फुंकवा दे लंका !!
-अतुल मिश्र


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