Monday, December 21, 2009




जलवायु-सम्मलेन !
लंच-डिनर में किया सभी ने, जल के साथ वायु का सेवन !!

बयान से पलटा कसाब !
खोजें, किनका रहा दवाब ??

लोकसभा स्थगित !
जनता का क्या है, वो तो हर,घटना में माने अपना हित !!

आलोचक ही मित्र है !
चित्रकार की कमी बताये, ऐसा चित्र विचित्र है !!

महंगाई से राहत नहीं !
सबको राहत मिले, ऐसी चाहत नहीं !!

और अधिकार दें !
अपने भी सब तुमको देकर, खुद को गोली मार दें ??

कोहरे की चादर !
आज सुबह से ढूंढ रही हूं, मिले नहीं बच्चों के फादर !!

लूटमार !
थाने का हिस्सा दें पूरा, उससे यूं ना करें उधार !!

अपहरण !
चल, गुज़ारिश कर, पुलिस के छू चरण !!

चालान !
या तो मन की बात मान ले, या नोटों की भाषा मान !!
-अतुल मिश्र


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