Monday, December 28, 2009




अतुल मिश्र
"कोई शेर उस सिचुऐशन पर सुनाएं कि जब किसी की महबूबा ने किसी से मिलने का वायदा तो किया हो, मगर वह आती दिखाई ना दी हो." आधुनिक मजनूं ने अपनी कलाई घड़ी में वह टाइम देखने की कोशिश की, जिसे बीते आधा घंटा हो चुका था और जिससे दुखी होकर यह प्रस्ताव किसी ऐसे गुमनाम शायर से किया गया, जिसके 'दीवान' सिगरेट की डिब्बियों पर मौजूद खाली जगहों पर दर्ज़ होकर ही अपना दम तोड़ देते हैं.
"अर्ज़ किया है....."
"क्या किया है ?" मन ही मन महबूबा के बाप-भाइयों को कोस रहे महबूब ने उनका बुरा हश्र करने की बाबत कुछ सोचते हुए पूछा.
"अर्ज़...... यानि अर्ज़ किया है......" शायर ने क्लीयर करने की कोशिश की.
"अच्छा, अर्ज़ किया है ?"
"हाँ, वही तो......"
"क्या अर्ज़ किया है ?"
"अर्ज़ किया है कि 'वो आये वज़्म में, इतना तो सभी ने देखा, फिर उसके बाद चिरागों में रोशनी ना रही." कैसा है यह शेर ?"
"यह शेर आपने कहा है ?"
"आपको फिलहाल, शेर से मतलब है या शायर से ?"
"मेरा इन दोनों में से किसी से कोई मतलब नहीं है. बस, मन कर रहा था कि ना आने वाली महबूबा की शान में कुछ हो जाए."
"शेर कैसा लगा आपको ?" मुशायरों में आये श्रोताओं से यह कहकर कि 'शेर अच्छा लगे तो तालियाँ पीटकर मेरी हौंसला अफज़ाई करें', अपनी तारीफ़ कराने वाले शायर ने अपेक्षापूर्ण सवाल किया.
"अच्छा लगा, मगर 'इतना तो सभी ने देखा' की जगह 'इतना तो मीर ने देखा', कह देते तो कोई आफत थी ?"
"महबूबा जब वज़्म में आ रही है तो मीर साहब के अलावा और लोग भी तो वहां मौजूद रहे होंगे, जिन्होंने देखा होगा कि चिरागों की रोशनी का आलम क्या रहा ?"
"यह बात भी सही है, मगर शेर में से मीर का नाम हटाने की क्या ज़रुरत थी कि उन्होंने देखा ?" ताउम्र महबूबा का इंतज़ार करने के हौंसलों से परिपूर्ण महबूब ने टाइम पास करने के लिहाज़ से पूछा.
"काहे का देखा ? जब वो वज़्म में आये और चिरागों में रोशनी ही नहीं तो मीर साहब ने अँधेरा ही तो देखा होगा, जिसमें सुनते हैं कि हाथ को हाथ ही नहीं सुझाई देता तो फिर महबूबा की तो बात ही अलग है."
"लो, आ गयी वो." महबूब ऐसे चीखा, जैसे मीर की 'वो' के आने पर पूरी वज़्म के लोग भी नहीं चीखे होंगे. बताते हैं कि इस चीख से घबराकर बिजली का एक तार टूटकर कहीं नीचे गिर पड़ा और उसके बाद बिजली के खम्बों ने आगे की सप्लाई बंद कर दी यानि चिरागों में रोशनी ना रही.

1 comment:

ANDAMAN & NICOBAR THE HISTORIC INDIAN CORAL ISLANDS said...

Waah-waah!!!

Kya baat hai! Aapko apne blog me dekh kar atyant aanand ka anubhav ho raha hai, Mishra ji... :))

Follow karne ke liye bahut dhanyavaad! Prashansaatmak tippani ke liye bahut aabhaari hoon!!!

Shubhkaamnaayen evam abhinandan! :)


SHRINATH VASHISHTHA
Port Blair
Andaman & Nicobar Islands (India)