Tuesday, November 17, 2009




"तुम्हारा नाम ? "
"राम भरोसे !!"
" बाप का नाम ? "
" श्याम भरोसे !! "
" सिर्फ, श्याम भरोसे ? लाल-वाल कुछ नहीं ? "
" नहीं साहब, अभी इतना ही रखा है ! "
" तुमने रखा या तुम्हारे दादा ने ? "
"दादा ने ही रखा होगा ! बहुत सयाने थे वो ! "
" क्या करते हो ? "
" बाप-दादाओं की जायदाद पर ऐश ! "
"तभी यह बीमारी हो गई ? "
" कैसी बीमारी ? मैं तो नोर्मल हूं ! " राम भरोसे ने साफ़ किया !
" यह तो हमारे टेस्ट ही बता रहे हैं कि तुम्हें कितने किस्म की कितनी बीमारियां हैं ? "
" किस किस्म की कितनी है ? "
" बीसियों किस्म की पचासियों हैं ! " डॉक्टर ने स्पष्ट किया !
" तो बच तो जाऊँगा ही न ? "
" बच भी सकते हो और नहीं भी ! "
" नहीं भी का मतलब ? "
" नहीं भी का मतलब है कि अगर दारू की एक बूँद भी ली तो फिर परमात्मा भी नहीं बचा सकता ! " डॉक्टर ने ऐसे कहा, जैसे वो यमराज का प्रतिनिधि हो और कुछ दिन और जीने कि मोहलत फ्री में दे रहा हो !
" कितना खर्चा आएगा ? " मरीज़ ने अपने बैंक-अकाउंट कि मन ही मन तहकीकात करते हुए पूछा !
" पूरा शरीर बदलेगा ! कीमत तुम नहीं दे पाओगे ! " डॉक्टर ने इतना कहा और उसके रिश्तेदारों को तसल्ली देने व्यंग्य, साहित्यकमरे से बाहर निकल लिया ! "
-अतुल मिश्र


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