Saturday, November 21, 2009





अतुल मिश्र
ओवर टाइम में जी रहा आदमी भी चाहता है कि वह दस-बीस साल और जी ले! पोते-पोतियों की औलादों की भी शादियां कर ले, तभी इस दुनिया से रुखसत हो! रामभरोसे लाल भी इसी चक्कर में थे कि परपोते के शादी लायक बच्चों की शादियां कर लें, मगर यमराज ने अचानक दस्तक दी तो रामभरोसे ने बलगमी खांसी में पूछा-
"कौन?'
"मैं हूं यमराज!" यमराज ने अपने कमजोर हो चुके भैंसे पर बैठे-बैठे ही कहा!
"किससे मिलना है?" रामभरोसे ने ऐसे पूछा, जैसे पड़ोसी की जगह यमराज गलती से उसके घर आ गए हैं और उन्हें ऐसा हरगिज़ नहीं करना चाहिए था!
"आपका टाइम ओवर हो चुका है!" यमराज ने समय की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा!
"लेकिन अभी तो परपोते के बेटे की शादी करनी है! इतनी जल्दी आप मुझे कैसे ले जा सकते हैं? मेरी जगह चिरौंजीलाल को ले जाएं! वह तो मुझसे भी ज़्यादा ओवर टाइम में जी रहा है!" रामभरोसे लाल ने यमराज का टारगेट पूरा करने की गरज से कहा!
"उसे भी तुम्हारे साथ ही ले जाना है! वह भी अपने पोते के बेटे की शादी में भांगड़ा करने की जिद कर रहा था!" यमराज ने रामभरोसे की स्वाभाविक ख़ुशी में इज़ाफा करने के लिहाज़ से कहा!
"उसके परपोते की शादी ही कहां हुई है अभी? वह तो अभी नौकरी की तलाश में ही घूम रहा है!" रामभरोसे ने चिरौंजीलाल की असलियत का खुलासा करते हुए कहा, ताकि यमराज का ध्यान उसकी ओ़र से हट जाए और वह बरी हो!
"लेकिन, तुम्हारे परपोते की तो कोई औलाद ही नहीं है! तुम फिर कैसे झूठ बोलकर अपने पोते की शादी में शरीक़ होने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हो!" यमराज ने इतना कहा और रामभरोसे का कॉलर पकड़कर यमलोक की तरफ चल दिए!


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