Sunday, November 22, 2009




'संसद-मार्च' तीन को !
सांप बख्शते नहीं किसी भी, वादक को या बीन को !!

गन्ने के बहाने !
राजनीति में अंधों के संग, हाथ मिला लेते हैं काने !!

परमाणु-हथियार !
इस्तेमाल हो गए अगर तो, पहला होगा, अंतिम बार !!

माहौल बिगाड़ने का प्रयास !
नेताओं को एक यही तो, मुद्दा मिल सकता था ख़ास !!

संसद में हंगामा !
जूते-चप्पल अलग चले थे, फटे अलग कुर्ता-पाजामा !!

खुले पड़े हैं मेनहोल !
गिरकर इसमें, निकल आये तो, 'नगर-निगम की जय हो', बोल !!

गन्ना-पेराई शुरू !
इसको लेकर कोई सियासत, खेलें कैसे, कहो, गुरु ??

महंगाई की अर्थी निकाली !
महंगाई ने चालाकी से, इसमें रक़म खर्च करवा ली !!

दुश्वारियां !
आटा महंगा, दालें महंगी, महंगी हैं तरकारियां !!

बिचौलिया !
यह रुमाल भी बिकवा देता, उसे बताकर तौलिया !!

आयकर !
पहले इसे जमा कर जा तू, फिर दुनिया को 'बाय' कर !!
-अतुल मिश्र


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