अतुल मिश्र
सानिया मिर्ज़ा अपनी शादी की तैयारियों से उतनी परेशान नहीं होगी, जितना वे लोग परेशान हैं, जो सानिया को मिनी स्कर्ट में खेलते हुए देखकर लगातार तेज़ हवा के चलने की कामनाएं करते हैं. कुछ लोग उसके टेनिस खेलने की फुर्ती से भी उसके मुरीद हैं और चाहते हैं कि वह इंडिया वालों को ही अपनी फुर्ती दिखाने के लिए उपलब्ध रहे. अपने घर की जगह अगर पड़ोस में ही बारिश हो तो मन ज़्यादा खराब होता है. सानिया को लोग अब पड़ोस में बरसने वाले बादल मानने लगे हैं. किसी शोएब मलिक नाम के पाकिस्तानी क्रिकेटर से शादी का ऐलान करके सानिया ने मिनी स्कर्ट-डिजाइनरों के साथ ही उन लोगों को भी हिला दिया है, जिनके देखने के लिए इन स्कर्टों को डिजाइन किया गया है. उन्हें डर है कि वे अब वैसी स्कर्ट में खेलती सानिया को अपने कमरे में रखे टी.वी. सेट से बाहर निकले बिना भी कभी देख पायेंगे या नहीं ?
जिस मुल्क में तेज़ हवाएं ना चलती हों, वहां तो सानिया का टेनिस खेलना ही बेकार है. वहां जाकर स्कर्ट भी सोचेगी कि यार, ये किस बैकवर्ड कंट्री में आ गयी कि लोग सिर्फ़ टेनिस की तरफ ही देख रहे हैं, मेरी तरफ बस एक बार निगाह मार लेते हैं कि ठीक है, महंगाई की वजह से छोटी सिलवाई होगी. इसलिए ऐसे मुल्कों में सानिया ने खेलने से ही मना कर रखा है कि नहीं जाना. मेरे एक दोस्त ने मुझसे कहा था कि सानिया को बुर्का पहनकर टेनिस खेलना चाहिए. उसकी बात अपनी जगह सही थी कि खेलना ही है तो बुर्के में टेनिस खेलो, मगर जब हमने उसे बताया कि यार, फिर स्टेडियम में लोग क्या झक मारने आयेंगे ? पूरा स्टेडियम खाली मिलेगा. हमारी इस बात में दम ना होने के बावज़ूद उसे कुछ दम लगा.
टेनिस एक ऐसा खेल है, जो पहले तो सिर्फ़ मर्द लोग ही खेलते थे, मगर देश की आज़ादी के बाद, जब यह समझ लिया गया कि हम लोग अब पूरी तौर पर आज़ाद हैं, तो औरतों ने भी अपनी आज़ादी की मांग की और उन्हें इस प्रकार टेनिस भी खेलने की आज़ादी हो गयी. शुरू में तो महिलायें साड़ी पहनकर भी जैसे-तैसे खेल लिया करती थीं, मगर कोई महिला खेलते वक़्त अपने ही पल्लू में उलझकर गिर पड़ी होगी तो फिर यह महसूस किया गया होगा कि कोई ऐसा कपड़ा पहन लिया जाये, जिससे गिरने का भी डर ना हो और आज़ादी में भी इज़ाफा हो तो स्कर्ट पहन लिए गए. आगे चलकर सानिया ने उसका संक्षिप्तीकरण करके पूरी आज़ादी ही हासिल कर ली.
हमारे पड़ोसी मुल्क में सानिया भाभी का बड़ा बेसब्री से इंतज़ार हो रहा है कि वे कब यहां आएंगी और यहां की तरफ से मिनी स्कर्ट में टेनिस खेलेंगी और वे करीब से उनके खेल को देख पायेंगे.. शोएब मालिक को अपनी शादी का इतना इंतज़ार नहीं होगा, जितना वहां की आवाम को है. सानिया और उसकी मिनी स्कर्ट को लेकर समय-समय पर बवाल करने वाले लोग अब सोच में पड़ गए हैं कि अब वे किसकी ख़िलाफ़त करेंगे ? हो सकता है, वो अब वाकायदा साड़ी पहनकर रहने लगे या कुछ ऐसा कपड़ा हो, जो मिनी स्कर्ट ना हो, मगर उसी किस्म की कोई हवादार पोशाक हो. होने को तो कुछ भी हो सकता है, मगर हम तो तब मानेंगे, जब वह वाक़ई हो और हम लोग अपनी आँखों से देख लें कि हां हो रहा है. वरना ऐसे कौन यक़ीन करेगा ?



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