Friday, March 26, 2010


हर ग़म में मुस्काना सीख,
बिन रोये, हंस जाना सीख,

दुनिया केवल रंगमंच है
अपना रोल निभाना सीख !

सुख-दुख दोनों बने सहोदर,
इनको गले लगाना सीख !

मौत इसी पल आ सकती है,
यही सोच, जी पाना सीख !

सागर बन जाने से पहले,
एक नदी बन जाना सीख !

जो बहुमूल्य और दुर्लभ हैं,
हँसाना और हंसाना सीख !

अपने सभी सगे-संबंधी,
विपदा में अजमाना सीख !

सब कुछ जिसमें छोड़ जाए तू
ऐसे घर बनवाना सीख !

अतुल जहां आदर्श खड़े हों,
'अतुल मिश्र' कहलाना सीख !
-अतुल मिश्र

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