बिना रोये, हंस जाना सीख
Thursday, March 25, 2010 साहित्य
हर ग़म में मुस्काना सीख,
बिन रोये, हंस जाना सीख,
दुनिया केवल रंगमंच है
अपना रोल निभाना सीख !
सुख-दुख दोनों बने सहोदर,
इनको गले लगाना सीख !
मौत इसी पल आ सकती है,
यही सोच, जी पाना सीख !
सागर बन जाने से पहले,
एक नदी बन जाना सीख !
जो बहुमूल्य और दुर्लभ हैं,
हँसाना और हंसाना सीख !
अपने सभी सगे-संबंधी,
विपदा में अजमाना सीख !
सब कुछ जिसमें छोड़ जाए तू
ऐसे घर बनवाना सीख !
अतुल जहां आदर्श खड़े हों,
'अतुल मिश्र' कहलाना सीख !
-अतुल मिश्र
बिन रोये, हंस जाना सीख,
दुनिया केवल रंगमंच है
अपना रोल निभाना सीख !
सुख-दुख दोनों बने सहोदर,
इनको गले लगाना सीख !
मौत इसी पल आ सकती है,
यही सोच, जी पाना सीख !
सागर बन जाने से पहले,
एक नदी बन जाना सीख !
जो बहुमूल्य और दुर्लभ हैं,
हँसाना और हंसाना सीख !
अपने सभी सगे-संबंधी,
विपदा में अजमाना सीख !
सब कुछ जिसमें छोड़ जाए तू
ऐसे घर बनवाना सीख !
अतुल जहां आदर्श खड़े हों,
'अतुल मिश्र' कहलाना सीख !
-अतुल मिश्र
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