Friday, March 26, 2010

कवरेज़ एक हांकू न्यूज़ चैनल की


                          अतुल मिश्र 

    ' हांकू न्यूज़ चैनल ' पर देश के हालात कुछ इस अंदाज़ में दिखाए जा रहे थे कि अगर अंधे भी देखें तो समझ जाएं कि कैसे हैं ? रेल-दुर्घटना होते ही उनका रिपोर्टर अपने कैमरामैन और डंडेनुमा माइक के साथ वहां मौजूद रहने के लिहाज़ से पहुंच चुका था और लगातार समाचार भेजने में लगा था. स्टूडियो में बैठा एंकर बीच-बीच में ऐसे सवाल कर रहा था कि रिपोर्टर को जवाब देने में किसी किस्म की कोई दिक्कत नहीं हो रही थी. 
    " हम अपने दर्शकों को यहां बता दें कि आज फिर से एक गंभीर रेल-हादसा हो गया है, जिसमें कई लोग हताहत हुए हैं और कई लोग जो हताहत नहीं हो पाए, वे मृतक घोषित कर दिए गए हैं. हमारे रिपोर्टर वहां पहुंच चुके हैं और आपको वहां का आँखों-देखा हाल सुना रहे हैं. जी, रामभरोसे जी, आप बताईये कि यह हादसा कैसे हुआ ? " चैनल के स्टूडियो में बैठा एंकर दर्शकों को डराने के बाद अब अपने रिपोर्टर रामभरोसे लाल से और ज़्यादा डराने के लिहाज़ से पूछ रहा था.
    " जी, धन्यवाद, चिरौंजी. मैं ठीक वहां खड़ा हूं, जहां एक बड़ा रेल-हादसा हुआ है और अभी भी कोई राहत के लिए नहीं पहुंच पाया है. " उल्टी पड़ी रेलगाड़ी के कुछ डिब्बों के पास खड़े होकर और रेल-विभाग की कर्मठशीलता का ज़िक्र किये बिना रामभरोसे अपनी न्यूज़ दिए जा रहे थे.
    " वो तो हमें भी दिखाई दे रहा है, रामभरोसे, मगर यह बताईये कि ये लोग जो ट्रेन के बाहर गिरे पड़े हैं, वे कहां थे ? अन्दर बैठे थे या इधर से टहलने जा रहे थे और डिब्बों के गिरने के बाद उसमें दबकर मरे ? " एंकर ऐसे सवाल कर रहा था, जिससे यह साफ़ झलक रहा था कि रामभरोसे से उसकी पटती नहीं है और वह आज मौका मिलने पर उसे धर्मसंकट में ड़ाल रहा है.
    " जी, मैंने अभी कुछ मृतकों से बात की है तो उससे यह साफ़ हो रहा है कि ग़लती ना तो रेल-ड्राइवर की थी कि उसने दारू पी रखी हो और ना ही रेलमंत्री की कि वे रेलमंत्री क्यों हुए ? मृतकों का यह कहना था कि दरअसल, उनका वक़्त आ गया था, इसलिए यह हादसा हो गया. " रामभरोसे ने नहले पे दहला मारने के अंदाज़ में अपनी बात पूरी दुनिया के सामने रखी.
    " हम अपने दर्शकों को यहां यह बता देना चाहते हैं कि हम सबसे पहले आपको यह न्यूज़ दिखा रहे हैं. अभी रामभरोसे ने कुछ मृतकों से बात की है तो वे इस बात से साफ़ इन्कार कर रहे हैं कि इसमें किसी की कोई ग़लती है. वे इसे अपने पूर्वजन्मों के पाप बता रहे हैं, जो भारतीय रेल से उन्होंने यात्रा करने का प्रोग्राम बना लिया. " स्टूडियो में बैठे चिरौंजीलाल वहां की तस्वीरों के साथ ही अपने चैनल की तेज़ी भी दिखा रहे थे.
    " चिरौंजी, यहां के हालात बहुत बुरे हैं. मरे हुए लोग जो हैं वो घायलों को गालियां दे रहे हैं कि मरने से इतना ही डर लग रहा था तो रेल में बैठे ही क्यों थे ?  हालात इस कदर खराब हैं कि जो घायल रेलवे की मदद का बहुत देर इंतज़ार देखने के बाद खुद ही चलकर अस्पताल जा रहे थे, उन्हें मृतकों ने जाने से रोका और उनकी टांगें पकड़ लीं कि हमें अकेला छोड़कर तुम कैसे जा सकते हो ? " रामभरोसे ने इस बार कैमरे की तरफ ऐसे देखते हुए बताया, जैसे समझा रहा हो कि उलटे सवालों के जवाब कैसे दिए जाते हैं ? 
    " जी, रामभरोसे, यह बताईये कि अपनी सहायता-राशि मिलने के बारे में मृतकों का क्या कहना है ?  हेलो, आप तक हमारी आवाज़ पहुंच रही है, रामभरोसे ? लगता है कि हमारी आवाज़ उन तक नहीं पहुंच पा रहा है. हेल्लो, हेल्लो आप हमारी बात सुन पा रहे हैं ? आपने अभी हमारे संवाददाता से रेल-दुर्घटना में हताहत लोगों के हाल सुने. हम थोड़ी-थोड़ी देर में आपको दुर्घटना-स्थल के हालात से वाक़िफ करवाते रहेंगे. लगता है अभी रामभरोसे से हमारा किसी वजह से संपर्क नहीं हो पा रहा है. अब हम आपकी बात करवाते हैं रेल-हादसों पर अपने विचार रखने के विशेषज्ञ श्री बातूनीलाल से, जो आज सुबह से ही हमारे स्टूडियो में बैठे हुए हैं. " दर्शकों की ओ़र मुखातिब होते से लग रहे एंकर चिरोंजीलाल ने अपनी यह बात कहने के बाद अपना मुंह घुमाकर बातूनीलाल की ओ़र कर लिया.
    इसके बाद हांकू चैनल पर रेल दुर्घटनाओं के विशेषज्ञों से बातचीत करते हुए कॉफ़ी पीने का सिलसिला चल निकला.
    

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