Wednesday, March 17, 2010

डायनोसोरों पर एक स्कूली निबंध



                                                                                               अतुल मिश्र 

    करोड़ों साल पहले, जब नेता लोग अस्तित्व में नहीं थे, तब इस पृथ्वी पर डायनोसोरों का साम्राज्य था और बिना चुनाव लड़े वे इस ग्रह पर खुद तो चैन से रह ही रहे थे, औरों को भी रहने दे रहे थे. चुनाव, सत्ता और कुर्सी तब मौजूद नहीं थे और लोगबाग जो हैं, वे बिना इन नेताओं के सुकून की ज़िन्दगी जी रहे थे. कई डायनोसोर ऐसे भी थे, जो अक्सर नेताओं जैसी हरकतें करने लगते थे, तो उन्हें बिरादरी से अलग कर दिया जाता था. हुक्का-पानी तब थे नहीं, वरना हम यह भी कह सकते थे कि ऐसी हरकतों पर उनका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता था.
    क़ानून क्या होता है, क्या नहीं होता है या क्या होना चाहिए, जैसी बातें भी तब के प्राणी नहीं सोचते थे. उनका मन ही उनका क़ानून हुआ करता था और जिस वजह से वे सब बहुत खुश रहते थे. आज की मिलीजुली सरकारों की तरह सब लोग मिलजुलकर खाते थे, जिससे यह सिद्ध होता है कि मिलजुल कर खाने-पीने की यह परम्परा बहुत पुरानी है और अब इसे वन्य-जीवों की तरह कभी ख़त्म नहीं होने देना है. दुनिया में जहां-जहां भी डायनोसोरों  के जीवाश्म मिले हैं, उन्हें देखकर ऐसा नहीं लगता कि वे सब दंगों या आगज़नी के शिकार हुए होंगे, क्योंकि जैसा कि हम पहले भी कह चुके हैं, नेता लोगों का तब कोई अस्तित्व नहीं था, इसलिए दंगे और आगज़नी का भी कोई सवाल नहीं उठता. उठाने को तो हमें हल करने को दिए गए इस सवाल की तरह के कई सवाल हैं, जो उठाये जा सकते है, मगर उन्हें यहां उठाना हमारा अभीष्ट नहीं है यानि मकसद नहीं है.
    डायनोसोर जो थे, वे अपने मन के मालिक थे. उनका मन ही उस ज़माने में क़ानून हुआ करता था, ऐसा खुद को विद्वान् मानने वाले विद्वानों का मानना है. कई विज्ञानियों का मानना यह भी है कि मन के इस क़ानून की बदौलत ही वे आपस में लड़-भिड़कर मर गए होंगे, जो कि ग़लत है, ऐसा भी कुछ विज्ञानी मानते हैं. डायनोसोरों के बारे में जितने मतभेद उल्लिखित विद्वानों में है, उतने उनमें नहीं रहे होंगे, जिन के बारे में कि मतभेद हैं. विद्वान् अगर किसी भी मुद्दे पर एकमत हो जाएं तो संदेह होने लगता है कि यह बात सही भी है या नहीं ?
    डायनोसोर पैदा कैसे हुए, इससे ज़्यादा महत्वपूर्ण यह है कि वे मरे कैसे थे ? विद्वान् मानते हैं कि खुद पैदा होना तो किसी के हाथ में नहीं होता, मगर मरना अपने हाथ में होता है, इसलिए पहले इसकी खोज करो. डायनोसोरों ने यह कभी सोचा भी नहीं होगा कि करोड़ों साल बाद उनके बारे में बच्चों से ऐसे-ऐसे सवालात पूछे जायेंगे, जो उनके स्कूल-मास्टरों को भी ना पता हों और जिन्हें जानने के लिए आज इस परीक्षा के ज़रिये छात्र लोगों से पूछा जा रहा है. इससे ज़्यादा डायनोसोरों के बारे में और कुछ नहीं लिखा जा सकता, मास्साब.
    

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