Tuesday, February 16, 2010


दर्द होगी दवा, जिस किसी के लिए,
हो मुबारक बहुत, बस, उसी के लिए,

हमने पाया बहुत, मौत के वास्ते
हमने खोया बहुत, ज़िन्दगी के लिए !

वो ना जाने कहां, भीड़ में खो गयी
हम तरसते रहे, जिस ख़ुशी के लिए !

एक सागर हमें, इस तरह का मिला
रो रहा था, ज़रा सी, नदी के लिए !

जोड़ सम्बन्ध को, तोड़ प्रतिबन्ध को
दुश्मनी भी करी, दोस्ती के लिए !

उस अंधेरे की औक़ात, मत पूछिए
जो लुटा उम्र भर, रोशनी के लिए !

हमने कैसे, कहां, काट ली ज़िन्दगी
ये सवालात हैं, ख़ुदकुशी के लिए !

कोई धन की हिफ़ाज़त में जगता मिला
कोई सो ना सका, इस कमी के लिए !

कोई रोता मिला, कोई सोता मिला
लोग पागल मिले, इक हंसी के लिए !

हम बनाने लगे, शोधशालाओं में
आदमी का ज़हर, आदमी के लिए !

छोड़ दी वो ज़मीं, राम-अल्लाह ने
लोग लड़ते रहे, जिस ज़मीं के लिए !
-अतुल मिश्र

No comments: