Friday, February 19, 2010

कुकुरमुत्तों से डॉक्टर



               अतुल मिश्र 

    झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या हमारे देश में इतनी है कि अगर कुकुरमुत्ते भी देखें तो शर्म के मारे पैदा होना ही बंद कर दें I सरकार इन झोलाछापों के बारे क्या सोच रही है, यह तो नहीं पता, मगर कुकुरमुत्तों की प्रजाति को बचाने की तमाम कोशिशों में लगी है कि अगर ये नष्ट हो गए या उन्होंने पैदा होने से इनकार कर दिया तो भावी खाद्य-संकट ज़रूर पैदा हो जाएगा I इधर, डॉक्टरों को ज़्यादा से ज़्यादा पैदा करने पर भी उसका जोर है कि जितनी आबादी बढ़े, उसमें आधा प्रतिशत डॉक्टर होने चाहिए, बाकी आधा प्रतिशत मरीज़ I सब कुछ हिसाब-क़िताब से हो रहा है I
    सरकार की हर सोच के पीछे एक गहरी सोच होती है I कुछ दिनों बाद मुल्क के हालात ऐसे हो जायेंगे कि डॉक्टर पैदा करने के लिए शादियों को बढ़ावा दिया जाएगा और साथ में एक ऐसा कैप्सूल भी कि इसे खाकर बच्चे पैदा करो,तो वह शर्तिया डॉक्टर निकलेगा I
    "क्या हुआ ?" देहात में कोई दाई का काम करने वाली से पूछे तो वह उदास मन से कहेगी "यह भी डॉक्टर ही निकला I" लोग जो हैं वे परेशान हो जायेंगे कि यार, कोई इंसान पैदा क्यों नहीं हो पा रहा ? 
    "अब कितने और डॉक्टर पैदा होंगे हमारे घर में ?" कोई पुराना हो चुका बाप सरकार को कोसे बिना अपने दर्द का इज़हार करेगा I
    "क्यों, यह तो अच्छी बात है कि डॉक्टर पैदा हुआ है I तुम्हें तो खुश होना चाहिए I" किसी की यह बात कही तो हौंसला अफज़ाई के लिए जायेगी, मगर यह किसी भी बाप के लिए निहायत ही शर्म की बात होगी I
    "रामभरोसे ने कौन सी तोप मार ली छह-छह डॉक्टर पैदा करके ? गांव के चारों कोनों पर बैठे अपने दवाखाने चला रहे हैं. बाकी दो जो हैं, वे कोने कम होने की वजह से दूसरे गांव के दोनों कोनों पर बैठे मक्खियां मार रहे हैं I" किसी बाप की आत्मिक पीड़ा उजागर होगी I
    "चलो काम से तो लगे हैं सब I" जले पर नमक छिड़कने के आदी किसी बुज़ुर्ग का स्वर सुनाई देगा I
    "काहे के काम से लगे हैं, हमें सब पता है I सुसरों ने नर्से पहले रख लीं, मरीज़ एक नहीं आये चाहे I सब एक जैसे हैं I चारों कोने खराब कर रखे हैं गाँवों के I" खुद नर्सें रखने लायक डॉक्टर ना बन पाने की तकलीफ से उपजा जवाब होगा I
    "तुम खुद क्यों नहीं बन गए डॉक्टर ?"
    "हमारे बाप के ज़माने में डॉक्टर बनाने वाला कैप्सूल ही नहीं था, वरना हम दिखा देते कि डॉक्टरी कैसे की जाती है ?" किसी का जवाब होगा I
    आने वाले वक़्त में हर एक मरीज़ के ऊपर एक डॉक्टर होगा और उसके मरने से पहले तक उसका इलाज़ करने के लिए खींचतान चलती रहेगी कि इसका इलाज जब तक मैं नहीं कर लूँगा, चैन से नहीं बैठूंगा I फिर पंचायत में यह निश्चित होगा कि दोनों लोगों को इस मरीज़ को मारने का बराबर का हक़ है, इसलिए दोनों को ही इलाज़ करने दिया जाये I इस तरह सरकार भी खुश रहेगी कि जैसा वह चाहती थी, वैसा होना शुरू हो गया है I इससे ज़्यादा और क्या कर सकती है कोई सरकार अपनी आवाम के लिए ?

1 comment:

DREAMMERCHANT said...

bahoot aache sir..yah parhke sahi mei man ko santusti mili hai..
dhanyawad!!