अतुल मिश्र
चूहे चाहे किसी भी पार्टी के हों, वे सलाहें देने से कभी बाज नहीं आते I ये खुद कुछ भी करें, मगर यह नहीं चाहते कि और लोग भी वैसा ही करें, जैसा कि वे इस मुल्क में अब तक करते आये हैं I ऐसा ही एक चूहा जंगल के लोगों को भाषण ना देकर कुछ नेक सलाहें देने के सरकारी मिशन पर निकला हुआ था I सबसे पहले उसने सोचा कि चीता अपने आप को बहुत चालक समझता है तो सबसे पहले उसी के पास चला जाये I वह चीते के पास गया I चीता जंगली थानों से उपलब्ध चरस के लम्बे सुट्टे लगा रहा था I चूहे के पास इससे अच्छा मौका और कोई नहीं नहीं था कि वह उसे अपनी नेक सलाह दे I
"प्यारे भाई, आप यह क्या कर रहे हो ? यह तो बहुत ही ग़लत चीज है. इसे छोडो और मेरे साथ चलकर जंगल देखो कि कितना अच्छा कर दिया है हमारी पार्टी ने अपने सरकारी फंड से I" चूहे ने अपनी पार्टी की पूरी उपलब्धियां गिनाये बिना ही कहा I
"चलो, यह तो अच्छी बात है कि तुम जंगल-सुधार के काम में लगे हुआ हो I" जंगल-सुधारक चूहे की सलाह से प्रभावित होकर चीते ने इतना कहा और उसके साथ चल दिया I
आगे चलकर उसे एक ऐसा हाथी मिला, जो कोकीन पी रहा था I चूहा उसके पास भी गया और वही सलाह दी, जो वह चीते को दे चुका था I
"बात तो सही कह रहे हो तुम कि यह ग़लत चीज है और जंगल सरकारी ठेकों पर खूबसूरत बना दिया गया है I ठीक है मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं जंगल की खूबसूरती देखने I" इस तरह हाथी भी उसके पीछे हो लिया I
अब चूहे के साथ चीता और हाथी दोनों ही चल रहे थे I मीलों चलने के बाद आगे जाकर चूहे ने देखा कि एक शेर बैठा हुआ दारू पी रहा है I वह डरते-डरते उसके पास भी गया और बोला-
"शराब पीकर क्यों अपने फेफड़े खराब कर रहे हो, दोस्त ? आओ, मेरे साथ और देखो कि जंगल की खूबसूरती पहले से कितनी अच्छी हो गयी है ?"
चूहे की बात सुनते ही शेर ने उसके कसकर एक झापड़ मार दिया I हाथी और चीते को आश्चर्य हुआ I उन्होंने पूछा कि "भाई, वह तो आपके भले की बात कर रहा था, फिर उसके झापड़ क्यों मारा ?"
"झापड़ ? इसको ज़िन्दा छोड़ दिया यही बहुत है." शेर ने गुस्से से कहा I
"क्यों, ऐसी क्या बात है, भाई?" हाथी ने पूछा I
"पिछली बार भी यह साला अफीम खाकर आया था और तीन घंटे तक मुझे पूरे जंगल में इसी तरह घुमाता रहा I" शेर ने इतना कहा और अपनी दारू की बोतल लेकर कहीं और निकल लिया I
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