सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा
Tuesday, January 26, 2010 विविध
बीच सड़क पर, खुले गटर में, गिरा आदमी देकर नारा !!
गणतंत्र-दिवस पर!
महंगाई पर भाषण देकर, हाथ रख फिर दुखती नस पर !!
प्रभातफेरी!
अलसाई छब्बीस जनवरी, ठिठुरन ने करवा दी देरी !!
नई योजनाएं!
गत वर्षों जो नई बनी थीं, कहां सो रही हैं, बतलाएं !!
ध्वजारोहण!
कमर तोड़ती महंगाई में, लिया सभी ने जीने का प्रण ??
सार्वजनिक अवकाश!
खुली दुकानें देख रहा था, भौंचक्का नीला आकाश !!
कुनबेदार!
एक-दूसरे के कष्टों से, पाते खुशियां सभी अपार !!
आयकर!
जीवन भर का टैक्स जमा कर, तब दुनिया को 'बाय' कर !!
टेलीफोन!
कभी-कभी आती है जिसमें, बातचीत को डायल टोन !!
वसूली!
रक़म अधिक हो, फिर भी उसको, सिद्ध करें, है सही, उसूली !!
हार्दिक शुभकामनाएं!
चलो, ठिठुरते नग्न तनों को, मरने से पहले दे आएं !!
-अतुल मिश्र
3 comments:
Ek aachi alakh jagai hai apne sach ko pesh karne ka ek naya tarika hai ye... kash hum jaiso ki batey ye chote soch wale upar k post par isthit logo ko samajh aa jaye... sayad ham jaiso ka likhna tabhi sarthak ho payega....
Ek aachi alakh jagai hai apne sach ko pesh karne ka ek naya tarika hai ye... kash hum jaiso ki batey ye chote soch wale upar k post par isthit logo ko samajh aa jaye... sayad ham jaiso ka likhna tabhi sarthak ho payega....
Ye sacchai ko darshne ka ek aacha andaaz... par kya in uche posts par isthit chote soch wale logo ko kabhi hum jaiso ki baat samajh aayegi bhi kya??
Post a Comment