Saturday, January 16, 2010



अतुल मिश्र
सरकारी अफसरों को सरकार की ओर से ना हो पाने वाले सरकारी कामों को घूम-फिरकर करने के लिए जो गाड़ियां दी जाती हैं, उन्हें 'सरकारी गाड़ी' कहा जाता है. ये किसी भी आकार या प्रकार की हो सकती हैं. अफसर की हैसियत, बीवी और बच्चों की संख्या के हिसाब से इन्हें खरीदा जाता है. किसी वजह से अफसर पर अगर एक ही बीवी है और वह दूसरी नहीं रख पा रहा है, तो उसे थोड़ी कम बड़ी गाड़ी दी जाती है. बच्चों का एवरेज़ इसी से निकाल लिया जाता है कि वास्तव में कितने हैं और गाड़ी में घूमने के हिसाब से कितने होने चाहिए थे ? दो बीवियां होने की अवस्था में इनका विकल्प तलाशा जाता है, जो समय-परिवर्तन के हिसाब-क़िताब से निर्धारित होता है और बिना वजह इसे यहां बताने की कोई ज़रूरत नहीं है.

मुआयनों, तफ्तीशों और ऑफिसों में आने-जाने के अलावा इन्हीं सरकारी कही जाने वाली गाड़ियों से अफसरों के बीवी-बच्चे शॉपिंग करने, फ्री पिक्चर देखने या अपने नाते-रिश्तेदारों से मिलने आते-जाते हैं. अधिकारी होने के नाते, यह उनका जन्म-सिद्ध अधिकार कहा जाता है. कई मर्तबा इन गाड़ियों का इस्तेमाल ग़ैर बीवियों को हिल स्टेशनों पर घुमाने के लिए भी होता है, जिसका पूर्ण विवरण देना यहां प्रासंगिक नहीं होगा. इस मुद्दे पर फिर कभी विचार करें तो बेहतर होगा. यह एक निहायत ही गोपनीय मसला है और किसी अफसर विशेष की गोपनीयता को भंग करना हमारा फ़र्ज़ भले ही बनता हो, मगर हमारा मकसद नहीं है.

केंद्र या प्रदेश सरकार की गाड़ियों में स्कूल जाते अफसरों के बच्चे, शहर के भीड़ भरे बाज़ार में घूमती इन गाड़ियों में बैठीं उनकी बीवियां देखकर 'सरकारी ईंधन बचाओ अभियान' की शुरात तो की जा सकती है, मगर उसे रोक पाना ज़रा मुश्किल है. आजादी के बाद से अब तक का सर्वेक्षण किया जाए तो उस रक़म से स्विस बैंक भी भर जायेग, ऐसा हमारा विश्वास है. यकीन ना हो तो हिसाब लगाकर देख लें. भ्रष्टाचार की तरह इस पर भी यकीन हो जाएगा.

सरकारी गाड़ियों में घुमते अफसरों के बीवी- बच्चों को देखकर हमें जो ख़ुशी होती है, उसे बयान करने की इच्छा होते हुए भी उसे व्यक्त नहीं किया जा सकता. कुछ खुशियों की आदत होती है कि वे व्यक्त ना हो पाने की शैली में व्यक्त नहीं होना चाहतीं या अगर वे चाहती भी हैं कि व्यक्त हो जाएं तो अखबारी समाचारों की तरह उनका कोई फायदा नहीं. फिर क्या फायदा कि हम खुशियां व्यक्त करके अपना फालतू टाइम फालतू में बर्बाद करें.


1 comment:

azmath syed said...

its the first time i learnt that the vehicle has direct relation to the size of the officer's family. i thought it was in relation to his position in the bureaucracy.

interesting and funny concept.