जागो, ग्राहक जागो...
Saturday, January 30, 2010 विविध
मौसम में बदलाव !
अब ग़रीब लोगों को कम्बल, बांटें, गिरे हुए हैं भाव !!
भारतीय युवकों पर हमले !
हमले से बोलो, कि थम ले !!
गर्मी की दस्तक !
घूम गया सर्दी का मस्तक ??
व्यापारी को धुनकर लूटा !
उसकी इनकम सुनकर लूटा ??
जागो, ग्राहक जागो !
जेब कटे, इससे ही पहले, तुम दुकान से उठकर भागो !!
सरकारी कर्मी !
जेबों में रखते रोज़ाना, ऊपर की इनकम की गर्मी !!
रिक्शा-चालक !
पुलिस-बेंत इनके संचालक !!
फंदा !
अपने फंदे में फंसकर अब, चीख रहा है, मूरख बंदा !!
दबंग ने धुना !
अपने से कमज़ोर चुना ??
शिकंजा !
कसने से पहले तू शातिर, किसी चील जैसा भी बन जा !!
कवायद !
देखो, शुरू करेंगे, शायद !!
-अतुल मिश्र
अब ग़रीब लोगों को कम्बल, बांटें, गिरे हुए हैं भाव !!
भारतीय युवकों पर हमले !
हमले से बोलो, कि थम ले !!
गर्मी की दस्तक !
घूम गया सर्दी का मस्तक ??
व्यापारी को धुनकर लूटा !
उसकी इनकम सुनकर लूटा ??
जागो, ग्राहक जागो !
जेब कटे, इससे ही पहले, तुम दुकान से उठकर भागो !!
सरकारी कर्मी !
जेबों में रखते रोज़ाना, ऊपर की इनकम की गर्मी !!
रिक्शा-चालक !
पुलिस-बेंत इनके संचालक !!
फंदा !
अपने फंदे में फंसकर अब, चीख रहा है, मूरख बंदा !!
दबंग ने धुना !
अपने से कमज़ोर चुना ??
शिकंजा !
कसने से पहले तू शातिर, किसी चील जैसा भी बन जा !!
कवायद !
देखो, शुरू करेंगे, शायद !!
-अतुल मिश्र
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