Monday, November 23, 2009





गन्ने पर दंगल !
दिल्ली जाकर राजनीति की, रोटी सेंक रहा है जंगल ??

दिल्ली में सर्दी बढ़ी !
देहातों की ठिठुरन देखी, उनकी कोई न्यूज़ पढ़ी ??

विभिन्न कार्यक्रम !
किसमें, कौन, कहां शामिल हो, इसका बना हुआ है अब भ्रम !!

आयकर-सर्वे !
आय भले ही कुछ ना पर, टैक्स जमा तू, फिर भी कर, बे !!

हड़कंप मचा !
जो भी छोड़-छाड़ कर भागे, उसमें से कुछ हमें बचा ??

हर वक़्त जाम !
एक इंच आगे बदने में, हमें सुबह से हो गयी शाम !!


गोलीबारी !
गोली ने गन से यह बोला, "आदत है यह ग़लत तुम्हारी !!"

उदासीनता !
हर अफसर पब्लिक की खुशियां, आसानी से छीनता !!

कोहराम !
इसे मचाकर ही करना है, खर्राटे लेकर आराम !!

कालाबाज़ारी !
कितने प्रतिशत पर ठहरी थी, बात हमारी और तुम्हारी ??

गिरफ्तार !
'ले-देकर' फिर छूट जाएंगे, यह सब तो चलता है, यार !!
-अतुल मिश्र


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