अतुल मिश्र
विभागीय व्यवस्थाओं की वजह से जिन लोगों को रिश्वत मिल नहीं पाती या इसी विभाग के लोगों के नाकारेपन की वजह से वे इसे ले नहीं पाते, उन्हें 'रिश्वत छूना महापाप है', जैसे लफ्ज़ इस्तेमाल करते हुए अक्सर सुना जा सकता है! महापापी बनने की तमाम संभावनाओं के बावजूद, इनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं होती! ये लोग अपनी हमेशा कम लगने वाली सैलरी में ही खुश रहने वाले बन जाते हैं! इसके अलावा इन पर भैंस के चारे से अलग कोई और चारा भी नहीं होता! ऐसे लोग 'जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिये!' जैसे दोहे अपने कमरे की दीवारों पर टांगकर अपनी तमाम उम्र गुज़ार देते हैं! 'संतोषी सदा सुखी' इन लोगों का तकिया कलाम बन जाता है!
रिश्वत न लेने वालों में एक बड़ा तबका उन लोगों का होता है, जिनके विभाग हैं तो सरकारी ही, मगर जिन्हें लोग इस लायक नहीं समझते कि उन्हें रिश्वत दी जाए! काम जब आसानी से हो जाए तो फिर काहे की रिश्वत? सब कुछ अपने आप ही हो जाना, इन विभागों सहित इसमें कार्यरत कर्मियों का दुर्भाग्य होता है! चाय-पानी का खर्चा भी इन्हें तभी मिल पाता है, जब ये अपनी आंखों में तैरती ख्वाहिशों का पूरी तौर पर प्रदर्शन कर देते हैं कि 'यार, चाय-वाय तो पिलवा ही देते!' आसामी भी बड़े सयाने होते हैं! वे उनकी आंखों की तरफ देखे बिना ही बाहर निकाल लेते हैं, जो कि निहायत शर्मनाक बात मानी जाती है!
कुछ इस किस्म के आसामी भी सरकारी विभागों के चक्कर काटते देखे जा सकते हैं, जो रिटायरमेंट के बाद इसी को अपना काम बना लेते हैं! वे खुद को रिटायर होने का अहसास नहीं होने देते! अपनी पेंशन के लिए भी जब वे सम्बंधित विभाग में जाते हैं, तो कुछ इस नीयत से कि 'यार, ऐसी भी क्या जल्दी है हमारी फाइल निकाल देने की! जब मन आये, तभी निकाल देना! कल फिर आ जाएंगे!' ऐसे लोग वक़्त के साथ चलने वाले होते हैं और रोजाना वक़्त से पहले अपना काम करवाने उक्त ऑफिस में पहुंच जाते हैं! यही इनका मोर्निंगवाक हो जाता है!
हर सरकारी विभाग में कुछ ऐसी फाइलें भी होती हैं, जो काम का बोझ ज़्यादा और उन पर रखे दाम का बोझ कम होने की वजह से कभी नहीं मिल पातीं या अगर मिल भी जाती हैं तो उनमें वे कागज़ नहीं होते, जो काम करवाने के लिहाज़ से निहायत ज़रूरी होते हैं! यहीं आकर लोगों को रिश्वतखोरी की महिमा का पता चलता है कि क्या है? इसके बिना जब पेड़ का पत्ता नहीं हिलता, तो बाबू की तो मज़ाल ही क्या कि वह फ़ाइल निकालने के लिए हिल जाए!
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Behad Umda...
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