अतुल मिश्र
" नेताजी ने अपने भाषण के दौरान जो कुछ भी कहा, वह पूरी तौर पर सही था! " चुनावी जनसभा से लौट रहे युवक ने कहा!
" क्या कहा था ? " साथ लौट रहे बुजुर्ग ने, जो भाषण सुनने कम और टाइम पास करने ज्यादा गया था, पूछ लिया!
" यही कि मज़बूत और निर्णायक सरकार सिर्फ वही दे सकते हैं और वर्तमान सरकार तो कुत्ते के गोबर कि तरह किसी काम की नहीं है! "युवक ने कुत्ते के गोबर पर अधिक बल दिया!
"वो तो ठीक है बेटा, लेकिन वो जो बुड्ढे से नेता ' हम सत्ता में आये तो आतंकवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे,' जैसी बातें कहते वक़्त कांप रहे थे, वो कौन थे ? " बुजुर्ग ने अपनी जानकारी में इजाफा करने के लिहाज़ से पूछा!
"वो ही तो हैं, जो अपनी सरकार आने पर प्रधानमन्त्री बनेंगे! " युवक ने अपना अब तक अर्जित पूरा ज्ञान बिखेरा!
"क्या उम्र होगी उनकी ? " बुजुर्ग ने जिज्ञासा ज़ाहिर की!
"अस्सी से ऊपर ही चल रहे हैं! " युवक की आवाज़ में गर्व था.
" हम यहाँ सत्तर कि उम्र में हिले पड़े हैं और यह जनाब अस्सी के बाद भी प्रधानमंत्री बनने के लिए अभी तक मौजूद हैं? " बुजुर्ग कि बात तो सही थी, मगर इस समय युवक को सिर्फ इसलिए अच्छी नहीं लग रही थी कि उसे इस साल ही इस पार्टी का सदस्य बनाया गया था और भविष्य में कोई ऊंचा पद दिए जाने की भी पूरी संभावना दिखाई गई थी.
" बादाम, पिश्ते और अन्य तमाम तरह की ताकत वाली चीजें खाते हैं वो! वर्ना आप की तरह चाय से डबल रोटियाँ निगल रहे होते तो आपकी उम्र से पहले ही खिसक लिए होते! " युवक ने बुजुर्ग की ओ़र हिकारत की नज़र से देखते हुए कहा!
" बेटा, यह बुद्धन मजबूत किस तरह से हैं, जो मज़बूत सरकार देने की बात कहते वक़्त भी कांप रहे थे? " बुजुर्ग ने फिर वही सवाल किया, जो इस वक़्त उस युवक को नाजायज लग रहा था!
" मज़बूत आदमी दिल से होता है, शरीर से नहीं! शरीर तो इस उम्र में सभी का हिलता है, मगर हौंसले देखे हैं कभी इनके? माइक तक कांप जाता है कि यार, किसी और को बुलाओ, वर्ना मैं फट जाऊंगा! " युवक की झल्लाहट अपने चरमोत्कर्ष पर थी!
बुजुर्ग के सारे सवाल फ़ेल हो चुके थे, लेकिन एक सवाल उसके ज़हन में भी कौंध रहा था कि जो नेता खुद ही मौत कि दहलीज़ पर खड़ा हो, वह देश को अपने साथ आखिर ले किस दिशा में जाएगा?
saaman so baras ka pal ki khabar nahi
saans na le paaye to kya
maal batorne ka dum bahut hai man me