Monday, November 16, 2009




अतुल मिश्र
"हेलो, कौन बोल रहे हैं?" पूरे दिन मोबाइल न करने की वजह से बोर हो चुके मोबाइल-धारक ने चिरौंजी लाल को फोन मिलाने के बाद पूछा!
"कौन क्या? आदमी ही बोल रहा हूं, भाई ! क्या जानवर भी अब मोबाइल पर बोलने लगे हैं?" हर सवाल का उल्टा जबाव देने की आदत से मजबूर चिरौंजी लाल ने सवाल के एवज में सवाल किया!
"नहीं, मेरा मतलब है कि आपका नाम क्या है?"
नाम अभी रखा नहीं है मां-बाप ने! कोई अच्छा सा नाम बताओ तो रख लें,यार! "दूसरा अगर खुद फोन करे तो बातें ज़रा लम्बी खींचनी चाहिए, इस भावना के तहत चिरौंजीलाल ने अपनी बात खींचते हुए कहा!
"आप तो मज़ाक कर रहे हैं! "मोबाइल-धारक ने कहा!
"मैं क्या कोई सरकारी योजना हूं, जो मज़ाक करने के लिहाज़ से बनी हो?" चिरौंजी लाल ने मज़े लेते हुए पूछा!
"चलिए आप कहां से बोल रहे हैं?"
"कहां से क्या, अपने मुंह से बोल रहा हूं! आप कहीं और से बोलते हैं क्या?" चिरौंजी लाल ने एक ऐसा जवाब दिया, जिसके बाद सवालों की तमाम गुंजाइशें ख़त्म हो जाती हैं!
"फिर भी, आप काम क्या करते हैं?" मोबाइल-धारक ने पूछा!
"मक्खियां मारकर जम्हाइयां लेता हूं! बाकी वक़्त मिलता है तो सपने देखने के लिए सोता हूं! इससे ज़्यादा काम और क्या कर सकता है कोई आदमी?" रिटायरमेंट के बाद अपनी दिनचर्या का पूर्ण खुलासा करते हुए चिरौंजी लाल ने कहा!
"आप तो बड़े अजीब आदमी हैं!"
"अजीब आदमी क्या? मैं कोई धुंआ छोड़ता हूं या पैट्रोल पीकर चलता हूं? क्या अजीब हूं, बताओ?" मोबाइल-धारक को यह अहसास दिलाते हुए कि बिना वजह उसे आगे से फोन करने पर कैसी बातें सुनने को मिल सकती हैं, चिरौंजी लाल ने पूछा !
"माफ़ी चाहता हूं, भाईजान, जो आपको फोन मिलाया!"
"काहे की माफ़ी चाहते हैं? मैं कोई राज ठाकरे हूं कि गलतियां करने के बाद माफ़ी मांगने पर विचार करुँ ? " चिरौंजी लाल से आगे कोई बात हो, इससे पहले ही फोन कट गया और अपने नए मोबाइल पर चिरौंजीलाल किसी अन्य रौंग कॉल का इंतज़ार करते-करते कुर्सी पर ही सो गए!


2 comments:

nagrik said...

बहुत गुदगुदाते हैँ अतुलजी आप...इस तनाव भरे माहौल मेँ मुस्कुराहट आ जाती है आपकी उपस्थिति से...धन्यवाद।

VIJAY ARORA said...

maja aa gaya

maamu sapne me bhi be wajah phone nahi lagaye ga anjaan aadmi ko

wah chironji lal ji
matlab apne atul ji