ख़बरों की ख़बर : थाने से फिर वही लुटेरे, कम्बल देकर के ही छूटे
Monday, November 16, 2009 ख़बरों की ख़बर
कहीं दुकानें खुली हुई थीं, कहीं बंद दीखे सारे घर!!
आई.एस.आई. के दफ्तर पर हमला!
फूल खिले जिसमें दहशत के, निश्चित वो टूटेगा गमला!!
भिखमंगों से कम्बल लूटे!
थाने से फिर वही लुटेरे, कम्बल देकर के ही छूटे!!
गोपनीय मंत्रणा!
अपने मन की करवाने को, कब तक दें मानसिक यंत्रणा??
नाले में नवजात मिला!
रिश्तों की स्थिरता को यह, एक और आघात मिला!!
जारी रही हड़ताल!
अपने व्यर्थ समय में से ही, इस हेतु भी वक़्त निकाल!!
हत्यारोप!
गन प्रयोग की, या की तोप!!
चिकित्सा-शिविर!
अब की आंख, दांत बदले हैं, अगली बार बदलवा लें सिर!!
जुलूस!
धरने, अनशन और प्रदर्शन मिश्रित है यह महंगा जूस!!
बम-विस्फोट!
मरे लोग, जिस फटते बम से, गहरी उसे लगी थी चोट??
-अतुल मिश्र
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