Wednesday, February 24, 2010

हास्य-ग़ज़ल



    गला फाड़कर गायें, हमारे ठेंगे से !      
              अतुल मिश्र 
आप मंच पर आयें, हमारे ठेंगे से,
कुछ भी पढकर जाएं, हमारे ठेंगे से,

हमको जो भी कहना था, वो कह डाला 
आप अर्थ समझाएं, हमारे ठेंगे से !

अपनी कविता दो घंटे में पूरी की,
सब बैठे सुस्तायें, हमारे ठेंगे से !

संयोजक ने हमें बुलाकर ग़लती की,
अब भुगतें, भुगताएं, हमारे ठेंगे से !

जिसने तुकबंदी को 'नवगीत' कहा,
गला फाड़कर गायें, हमारे ठेंगे से !

बिना छंद, बेसुरे राग में गाकर भी,
गीतकार कहलायें, हमारे ठेंगे से !

भ्राता-ज्येष्ठ, जिन्हें हम पहले मान चुके,
हमें 'गधा' बतलायें, हमारे ठेंगे से !

करुणा-रस के गीत हमारे पड़ते ही,
श्रोतागण हँस जाएं, हमारे ठेंगे से ! 

1 comment:

वीनस केसरी said...

हम आपसे इसकी बहर जानना चाहते हैं

आप बताए ना बताए हमारे ठेंगे से :)

नहीं जी सच में जानना चाहते हैं