Thursday, February 4, 2010

जबर-ख़बर 
        अतुल मिश्र 

निष्कासन पर बोले अमर !
पानी में डूबी देखी थी, हमने सिर से पूर्व कमर !!

निष्कासन पर मुलायम का धन्यवाद !
कभी ज़रुरत पड़ गयी, तो कर लेना याद !!

उत्पादन बढाएं !
महंगे बीज कहां से लायें ??

तभी थमेगी महंगाई !
एक वक़्त जब खाना खाएं, हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई !!

भगवा दलों में तकरार !
जली आग में देशी घी का, काम कर रहे हैं अखब़ार !!

राहुल से खिन्न शिवसेना !
यह अपनी आदत भी है ना ??

ड्रामेबाजी !
यह भी राजी, वह भी राजी, फिर क्यों लाये बीच में काजी ??

नियम-अवहेलना !
नियम इसी के लिए बने हैं, कि इनको मत झेलना !!

हाथापाई !
हाथ सभी के टूट गए जब, तब नौबत पैरों की आई !!

घर जला !
जो घर का चिराग था, वो ही, जाने क्यों यह काम कर चला ??

बंटवारा !
यह दीवार तुम्हारे हिस्से, आंगन सब हो गया हमारा !!

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