Sunday, January 3, 2010


ठिठुरन

Posted Star News Agency Saturday, January 02, 2010 


महंगाई आसमान पर !
आसमान बोला, "महंगाई,रहो इसी स्थान पर !!"

नए साल का धमाल !
महंगाई ने नाच नचाकर, सचमुच काफी किया कमाल !!

नए साल की मस्ती !
कुछ को महंगी लगी सवेरे, कुछ को उम्मीदों से सस्ती !!

खाद्य पदार्थों के दाम !
महंगाई के घर पर सारे, करते है आकर आराम !!

हादसे !
कान पुलिस के खड़े हुए हैं, यह सुनने के बाद से !!

ठिठुरन !
ऐसा लगता है, ग़रीब की, हो जैसे वो सगी बहन !!

सनसनी !
फैलाकर, मिल गया 'मनी' ??

जश्न !
महंगाई ने खूब रुलाया, इनकम से जब पूछे प्रश्न !!

गिरा पारा !
नंगे बदन, भूख ने पूछा,"जाने क्या हो हश्र हमारा ??"

घना कोहरा !
खुद को खुद ही ढूंढ रहे थे, मिस्टर मोतीलाल वोहरा !!
- अतुल मिश्र


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