आला अफसर, ऐसी सर्दी में वे अकसर, सोते ही मिलते हैं घर पर
Monday, January 11, 2010 विविध
नीचे और गिर गया पारा !
हे ग़रीब वोटर, बतलाओ, तुम्हें ठंड ने कैसे मारा ??
एन आर आई !
वोटर घोषित करके उनको, चिंता भी भरपूर जताई !!
परियोजनाएं !
इन्हें कागजों में कम से कम, पूरी करके तो दिखलाएं !!
मतदान !
बिना वायदे दान लिए तू, इसको बिलकुल भी मत मान !!
प्रवासी !
खो कर वतन, वहां का सुख भी, दौलत पा लें अच्छी खासी !!
समस्याएं !
निपटाने से पहले इनको, पुनः अंकुरित करते जाएं !!
आला अफसर !
ऐसी सर्दी में वे अकसर, सोते ही मिलते हैं घर पर !!
समीक्षा शुरू !
बोलें, क्या पिलवायें, गुरु ??
रणनीति !
रण को छोड़, प्राण से प्रीति !!
भ्रष्टाचार !
अपने सरकारी होने का, करता है भरपूर प्रचार !!
डाका !
"थाने जाके पूछ लियो कि, हुक्म कोई और दें आका !!"
-अतुल मिश्र
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