सोना चढ़ा चोटी पर : फर्क क्या पड़ा, हर गरीब की, एक वक़्त की रोटी पर
Thursday, December 03, 2009 ख़बरों की ख़बर
पहले कोई नहीं करेगा, इस्तेमाल ऐसा हथियार ??
सोना चढ़ा चोटी पर !
फर्क क्या पड़ा, हर गरीब की, एक वक़्त की रोटी पर ??
जागरूकता !
नींद उड़ाकर गैरों की, खुद सोने से नहीं चूकता !!
पोलियो !
कितना ख़र्च हुआ कागज़ में, इस पै कुछ मत बोलियो !!
कामकाज !
जैसी जम्हाइयां कल लीं, वैसी ही लेनी हैं आज !!
यातायात-माह !
वाहन-चालक स्वयं बना लें, जैसे, जिधर,दिखे, जो राह !!
मनचला गिरफ्तार !
मन चलने से मना करे तो, मनचाहे स्थल पर मार !!
शादी की सालगिरह !
बीस साल की आज हो गयी, तू-तू,मैं-मैं नुमा जिरह !!
गहमा-गहमी !
रहम करे सब पर बेरहमी !!
रक्तदान !
खून चूसकर हर वोटर का, देते वक़्त स्वयं का मान !!
सरकारी ज़मीन !
जर, जोरू भी सरकारी हों, तो जीवन बन जाए हसीन !!
-अतुल मिश्र
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