Saturday, November 14, 2009





अतुल मिश्र
रेलवे प्लेटफार्म कई सारी गतिविधियों को संपन्न करने के काम आते हैं! ' गतिविधियां' हम उन तमाम हरकतों के गतिशील बने रहने को कहते हैं, जो किसी भी नंबर के प्लेटफार्म पर किसी भी वक़्त, किसी भी रूप में की जा सकती हैं ! इसमें बिना टिकिट गाड़ी में बैठने से पहले टीटी या गार्ड से ' सेटिंग ' की गुज़ारिश के अलावा किसी वीरान और तनहा पड़े प्लेटफार्म पर किसी से इश्क फरमाने जैसी बातें शामिल हैं! इन गतिविधियों में रेलवे कर्मियों के अलावा पुलिस, यात्री या कोई भी प्रतिभागी हिस्सा ले सकता है! इधर-उधर के मंहगे होटलों में जाने से क्या फायदा?

रेलवे प्लेटफार्म पर कई ऐसे भी डिब्बे खड़े दिखाई देते हैं, जो ब्रिटिश काल से वैसे ही खड़े हैं, जैसे कि अंग्रेज उन्हें छोड़ कर गए थे! भारी होने कि वजह से वे इन्हें अपने साथ नहीं ले जा सके! ये डिब्बे अब लैलाओं और मजनूओं के सांस्कृतिक कार्यों के काम आते हैं! यूं तो रेलवे स्टेशनों पर आपको विभिन्न किस्म के नज़ारे देखने को मिलते होंगे, मगर गौर से देखें तो भारतीय संस्कृति का अध्ययन करने के लिए देश-भ्रमण करने कि कोई ज़रुरत नहीं पड़ेगी! सब कुछ यहीं मिल जाएगा!

नाक पोंछकर फिर उसी हाथ से रोटी सकते बैल्डर, पागल किस्म की लड़की में विभिन्न किस्म की संभावनाएं तलाशते पुलिस वाले, बिना टिकिट-यात्री को पकड़कर उनसे मोल-भाव करते टीसी, बदबूदार पानी पीकर रेलवे को कोसते यात्री, किसी भी दशा में कहीं भी सो जाने वाले सिद्धांत में विश्वास करने वाले ग्रामीण या ज़हरखुरानी के शिकार व्यक्ति पर ज़्यादा शराब पीकर ज़मीन पर गिरे होने के आरोप लगाते रेलवे और पुलिस के न्यायशील कर्मी , जैसे सैकड़ों दृश्य हैं, जिसमें' इंडियन कल्चर ' तलाशी जा सकती है!

देखने के नज़रिए हैं कि आप किसको किस नज़रिए से देख रहे हैं? टिकिट होने के बाबजूद टीसी आपको और आपकी पर्स वाली जेब को किस नज़रिए से देख रहा है या ' बम-चेकिंग अभियान' पर निकले रेलवे पुलिस कर्मी आपकी अटैची को बैंत मारकर आपको किस नज़रिए से देख रहे हैं? या अन्य सीटें खाली होने के बाबजूद लड़कियों से सट कर बैठने वाले खूसट, मगर भाग्यशाली बूढ़े को वहां बैठे लड़के किस नज़रिए से देख रहे हैं आदि ऐसी अनेक बातें हैं, जो रेलवे से जुड़ी हैं, मगर हमारा नजरिया जो है, वो वही है, जो हमेशा से रहा है! उसमें कोई बदलाव नहीं है!

2 comments:

सागर नाहर said...

सचमुच रोचक व्यंग्य है। होठों पर बरबस मुस्कुराहट आ गई।

VIJAY ARORA said...

पागल किस्म की लड़की में विभिन्न किस्म की संभावनाएं तलाशते पुलिस वाले, .................................
बहुत कड़वा सच लिखा है आपने मिश्रा जी ,इन पुलिस वालो की औकात ही ऐसी होती है
जहाँ से जो मिला उठा लिया खा लिया ...................जात ही खराब है इनकी